स्टाम्प पेपर क्या होता है, इस का इस्तेमाल
जानिए स्टाम्प पेपर क्या होता है और इस का इस्तेमाल? और आप ये भी जानेंगे के असली और नकली स्टाम्प पेपर की पहचान कैसे होती है।
स्टाम्प पेपर एक सरकारी कागज़ है जिस में एक ख़ास कीमत के Revenue Ticket प्रिंट होते हैं जिस का राजस्व सरकार को जाता है।
किसी भी तरह के शपथपत्र, घोषणापत्र, Affidavit या Contract या Deed जिसे Legalise करने की जरूरत पड़े, और जिस की रजिस्ट्री करवाना होता है ये सारी चीज़ें स्टाम्प पेपर में बनते हैं, नकली स्टाम्प पेपर बनाना खुद एक अपराध है IPC सेक्शन 255 में इस के लिए सज़ा का प्रावधान है। तो आप को ये पता होना चाहिए कि असली स्टाम्प पेपर क्या होता है और इस का इस्तेमाल किन कामों में किया जाता है।
अब्दुल करीम तेलगी ऐसा बड़ा नाम है जिस ने नकली स्टाम्प पेपर का अपराध पूरे देश भर में किया, और इस के लिए उसे 10 साल की सजा हुई थी।
स्टाम्प पेपर एक ऐसा पेपर है जिस पर सरकार द्वारा विशिष्ट मूल्य के राजस्व को प्रिंट किया जाता है, और ये राजस्व विभाग द्वारा ही जारी किया जाता है, स्टाम्प पेपर दिखने में नोट जैसा होता है मगर इस में फ़र्क़ ये है कि नोट एक खास तरह के कागज़ पर छपी होती है जब कि स्टाम्प पेपर एक दूसरी तरह के पेपर के ऊपर छपा होता है इस के ऊपर लिखा होता है जैसे Indian Non Judicial वग़ैरा।
इस पेपर की सुरक्षा के लिए इस में सुरक्षा धागा यानी Security Thread भी होता है।
अभी फ़िलहाल 100 रूपये के स्टाम्प पेपर मिल रहे हैं, उस के ऊपर के स्टाम्प पेपर अगर चाहिए तो E Stamp मिलेंगे Physical स्टाम्प नहीं मिलेंगे।
स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल
राज्य सरकार द्वारा राजस्व विभाग के जरिये जो स्टाम्प पेपर जारी किये जाते हैं उन का इस्तेमाल कानूनी दस्तावेज़ों में किया जाता है जैसे कि शपथपत्र में, एग्रीमेंट में, किसी कॉन्ट्रैक्ट में, खरीदी और बिक्री की डील में, मुख़्तार नामा में, किसी डिक्लेरेशन में इस सब में स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल किया जाता है।
Revenue Ticket क्या होता है?
Revenue Ticket चौकोर सा दिखने वाला छोटा सा एक डाक टिकट होता है, इस में नीचे की तरफ सत्यमेव जयते लिखा होता है, इस पर सरकार को कितने रूपये का Revenue जा रहा है ये भी लिखा होता है। इसे आम बोलचाल में रसीदी टिकट भी कहा जाता है।
स्टाम्प पेपर कहाँ से मिलता है?
स्टाम्प पेपर के लिए स्टाम्प पेपर के वेंडर्स होते हैं जो Govt. Authorised होते हैं। ये हर कहीं से नहीं खरीदा जा सकता, स्टाम्प पेपर जिस दिन खरीद जा रहा है उस पर उस की तारिख होनी चाहिए, उस की एंट्री एक रजिस्टर में होगी, पुरानी तारिख का स्टाम्प पेपर नहीं खरीदना चाहिए। कटे फटे, और मैले स्टाम्प पेपर भी नहीं खरीदना चाहिए।
स्टाम्प पेपर खरीदते समय इन बातों का रखें ख़याल
जब कभी स्टाम्प पेपर खरीदीं तो इस बात का ध्यान रखें स्टाम्प पेपर विक्रेता के रजिस्टर में आप का नाम, पता, बिक्री की तारिख, खरीदने की वजह ये सब कुछ लिखा जाएगा और उस पर आप को अपना हस्ताक्षर करना होगा। स्टाम्प पेपर के पीछे स्टाम्प पेपर विक्रेता के जरिये बेचे जाने का Certificate या प्रमाणपत्र होता है जिस में उस की सील लगी होगी और उस के हस्ताक्षर भी होंगे। स्टाम्प पेपर वेंडर के बेचने की जगह, उस के Authorised होने का प्रमाणपत्र उस का लाइसेंस नंबर ये सब भी होता है अगर आप Verify करना चाहें तो ये सब भी चेक कर सकते हैं।आप जहाँ से भी स्टाम्प पेपर खरीदें इस बात का खास ख़याल रखें कि जितनी रकम स्टाम्प पेपर पर लिखी हुयी है उतनी ही रकम देना चाहिए और इस में ही वेंडर का कमीशन भी शामिल होता है, उस से ज़्यादा रकम नहीं देना चाहिए, आम तौर पर ये देखने में आता है कि 100 रूपये का स्टाम्प पेपर 150 रूपये में और 20 रूपये का स्टाम्प पेपर 50 रूपये में लोग बेचते रहते हैं और अगर कोई स्टाम्प पेपर पर लिखी गयी कीमत से काम कीमत पर अगर कोई बेच रहा है तो उस से भी स्टाम्प पेपर नहीं खरीदना चाहिए। क्यों कि वो नक़ली या फ़र्ज़ी हो सकता है। अगर आप को इस पर शक है कि स्टाम्प पेपर असली है या नक़ली तो आप को District Magistrate को DM को या SDM को इस की शिकायत करनी चाहिए। अपने क़ानूनी अधिकारों को जाने, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।